|| सद्गुरु आनंदयोगेश्वर ||

....एक साक्षात्कारी अनुभूति ...

सायरा सईद अब्दुल खबूर
177, 53rd Street, Spt # 8, North Bergen, NJ 07047

सर्व जाति धर्मसमभाव | दरबारी तुझिया गुरुराव ||
वांझ यवन नारी अतएव | गर्भधारणा हो सुखनैव ||

मै सायरा बानू अपने अनुभवके साथ मेरे बाबा श्री सद्गुरु भाऊ महाराज कारंदीकर का भी नये रुप में परिचय कराना चाहती हूं | मै और मेरे पती सईद खाबूर एक खुषीभरी जिंदगी जी रहे थे | अचानक हमारी जिंदगी में मुसीबतोंका तुफान आ गया और हमारी जिंदगी दुखमे बदल गयी | बेशक हम अल्लाह के राहपर चलनेवालोंमेसे है | मैने अल्लाहसे बहुत दुवा की कि कोई सच्चे, नेक और इमानदार आदमीको हमारी मदतके लिये भेज दिया जाये | यह शक्स जो कोई भी हो (of any religion ) इस दुनिया में जहाँ कही भी हो उनके हाथो हमारे दुखका हल भेज दो अल्लाह | मैने ऐसी दुवा इसलिये की क्योंकि अल्लाहके होनेका और इस जमानेमेंभी ऐसा कोई पॉवरवाला आदमी होनेका सबूत मै इन बातोंको ना मानानेवालों को दिखाना चाहती थी |

१९९६ में मुझे एक अजीबसा सपना दिखाई दिया | 'ऑफ व्हाईट रंगकी कमीज और पैजामा, धूलसे भरे काले रंगके जूते सरपे हरे रंगकी पगडी बांधा हुआ एक आदमी मेरे पास चले आया | उन्होने मुझसे कहा की 'आ चलो| मै तुम्हे कयामतका नजारा दिखाता हूं’ | मै उनके साथ चली एक नयी जगहपर | उधर लोग आग मे जल रहे थे | कुछ लोग रो रहे थे | कुछा अधमरे और कुछ मर चुके थे | जमीन फटकर आग भडक रही थी | मौतसे डरे हुए चेहरे, मदद के लिये पुकारनेवालोंकी आवाज | मै देखती ही रह गयी | फिर मैने उस आदमी की और मुडके देखा तो वे अदृष्य हो चुके थे | इस सपने मै कौन आये थे और इन सब बातों का क्या मतलब था मेरी समझमे नही आया | दो साल गुजर गये |

1998 में मेरे पती के एक मित्रने, जो हमारे अच्छे स्नेही होनेके नाते हमारा सुखदुख बांटते थे, उन्होने हमसे कहा कि 'उनके एक गुरु इंडियासे आनेवाले है और हमे वो उनसे मिलायेंगे|' यह बात सुनकर हमे बहोत तसल्ली मिली | जब उनके गुरु इंडियासे USA आये तो हमारे स्नेहीने हमे उनसे मिलने के लिये बुलाया | हमारे वहां जाने के बाद उन्होने उनके गुरुसे हमारी पहचान करायी | तब मैने जाना कि उनका नाम सद्गुरु भाऊमहाराज ऐसा था | जब मैने उन्हे देखा तो अचानक मुझे उस सपनेकी याद आयी जो मुझे दो साल से परेशान कर रहा था | यही तो वे मौलाना थे जो मेरे सपनेमे आये थे | मैने वह पुरा सपना उन्हे सुनाया | उसपर उन्होने जो कहा वे सुनकर मै अचंबित हो गयी |

उन्होने कहा 'वह श्रीसाईबाबा थे जिनको आपने सपनेमे देखा है |' और ज्यादा आश्चर्य मुझे तब हुआ जब थोडी ही देर में किसीने वहापर एक व्हिडीओ टेप चलाया | जिसमे श्रीसाईबाबा जैसे पोशाख पहने हुए सद्गुरु भाऊ महाराज दिखाई दिये | पुछनेपर पता चला कि गुरुपुर्णिमा के दिन इंडियामें भाऊमहाराज के भक्तोनें उनका पूजन शिर्डीके साईबाबा के रुपमे किया था | मुझे ये सब देखकर और सुनकर बहोत ख़ुशी हुई और मै जान गयी कि साक्षात सद्गुरु भाऊ महाराजनेही मुझे साईबाबा के रुप में सपनेमे दृष्टांत दिया | इस बात का अहसास हुआ कि सब धर्म एक ही है | सिर्फ उनकी भक्तीका मार्ग अलग अलग है |

इसी विश्वासके साथ हमने हमारी समस्या बाबाको बताई | सबकुछ सुनने के बाद उन्होने मुस्कुराते हुए कहा 'अब मै आ गया हूं | आप दोनोंको परेशान होनेकी कोई बात नही है | सब कुछ मै और मेरे महाराज संभाल लेंगे | सब कुछ मुझपर छोड दो | उन्होने जैसे कहा वैसे आजतक निभाया | उनके इंडिया जानेके दिन उन्होने हमसे कहा कि 'अगले साल मै आऊंगा तो आप दोनोसे नही बल्की तीनोसे मिलूगां|' उनकी यह बात सच निकली और १५ एप्रिल १९९९ इस दिन हमारे घर में एक प्यारे से खूबसूरत बेटेका जनम हुआ |

बाबा याने सद्गुरु भाऊ महाराज इंडिया जानेके बाद पहली बार जब हमने उन्हे फोन किया तो मैने उनसे पूछा, "बाबा आप कैसे है ?" जवाबमे उन्होने वही सवाल मुझसे पूछा | मैने कहा , " मै ठीक हूँ और आपसे मिलने के बाद बहोत खुशभी हूं | तब उन्होने कहा , "अगर बेटी खुश तो बाबा भी खुश |"

बिमारी की वजहसे पुरे प्रेग्नेंसी पिरियडमे मुझे बहोत तकलीफ हुई | इसके बारेमें मुझे बाबाने पहलेही खबरदार किया था और वादा भी किया था कि 'निश्चिन्त रहना | सब ठीक हो जायेगा | फिर भी जबभी मेरा दिल घबरा जाता था हम इंडियामे बाबाको फोन करते थे | और वे हमेशा हमे तसल्ली देते थे 'चिंता नही करना |'

1999 साल के 26 मे को याने कि अगलेही साल, बाबा जब अमेरिका आये तब यहा पहुचते ही उन्होने हमारे स्नेही के घरसे , इतनी थकान होते हुए भी रात के १० बजे हमे फोन किया | उन्हीके कृपासे हुए बच्चे की आवाज सुनकर वे बहुत खुश हुए | उन्होने हमे आरती के लिये बुलाया और आरती के बाद हमारे बच्चे को आशीर्वाद दिया |

इस अनुभवके जरीये मै पढनेवालोंको मेरा एक पैगाम देना चाहती हूं :

अपने धर्म का पालन करते हुए दुसरे धर्म की भी इज्जत करो | परमेश्वरीय शक्तिपर विश्वास करो जो एकही है | सिर्फ उस शक्तिके रुप अलग है | विश्वासही आदमीको मजबूत करता है | और इसी विश्वासका फल भगवान हर एक को उसकी श्रद्धाके अनुसार किसी भी रुपमे आकर उसकी झोली मे डालता है | जैसे सद्गुरु भाऊमहाराज ने हमारी झोली आनंदसे भर दी है |

|| श्री आनंदयोगेश्वर निळकंठाय नमः ||

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